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Rahat Indauri Sahab ki Kuch Behatareen Shayari

 This is about Rahat Indauri's shayari, this is a little tribute for him from Loveya Poems, You Will Get the awesome Shayari of Rahat Indauri sahab, read and do comment if you liked, share more and more, Thank you.




इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है

नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं

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हमसे पूछो कि ग़ज़ल माँगती है कितना लहू

सब समझते हैं ये धंधा बड़े आराम का है

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न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा

हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा

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सवाल नींद का होता तो कोई बात ना थी

हमारे सामने ख्वाबों का मसअला भी है

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मैने देखा है ज़माने को शराबें पी कर

दम निकल जाये अगर होश में आकर देखूँ

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उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो 

खर्च करने से पहले कमाया करो 

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बुरे दिनों से बचाना मुझे मेरे मौला

क़रीबी दोस्त भी बचकर निकलने लगते हैं 

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अल्लाह बरकतों से नवाज़ेगा इश्क़ में

है जितनी पूँजी पास लगा देनी चाहिए

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जी चाहता है बस उसे पढ़ते ही जायें

चेहरा है या वर्क है खुदा की किताब का

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न जाने कौन सी मजबूरियों का क़ैदी हो

वो साथ छोड़ गया है तो बेवफ़ा न कहो

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हमारे ऐब हमें ऊँगलियों पे गिनवाओ

हमारी पीठ के पीछे हमें बुरा न कहो

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अब फिरते हैं हम रिश्तों के रंग बिरंगे ज़ख्म लिए हुए

सबसे हंस के मिलना जुलना बहुत बड़ी बीमारी है

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ये शरारत है सियासत हैं या साजिश कोई

शाख पर फल आये इससे पहले पत्थर आ गए 

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घर से ये सोच कर निकला हूँ की मर जाना है 

अब कोई ये ये बताये किधर जाना है 

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उसको को पढते पढते सोया था

रात भर नींद में सिसकता रहा

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मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ

थाम ले कोई मेरा हाथ कुझे होश नहीं

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क्या बस मैंने ही की है बेवफाई ,जो भी सच है बताना चाहिए था

मेरी बर्बादी पे वो चाहता है , मुझे भी मुस्कुराना चाहिए था

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हमें चराग समझ कर बुझा न पाओगे

हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं

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इधर किया करम किसी पे और इधर जता दिया

नमाज़ पढ़के आए और शराब माँगने लगे

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